
शरीर निर्मल होता है स्नान से,
मन निर्लेप होता है ध्यान से,
हृदय वही प्रेम से सराबोर होता है जो रिक्त हो अभिमान से,
बुद्धि में ज्ञान का दीप वहीं जलता है जो मुक्त हो तर्कों के बाण से,
और ऐसे निश्छल अस्तित्व से प्रकाशमान होता है जीवन दिव्य कल्याण से।