
हमारा जीवन एक तीर्थ यात्रा है। इस में आने वाली प्रत्येक कठिनाई एक तीर्थ स्थल के समान है । जीवन की चुनौतियां का सामना हम कितने धैर्य, संयम और सहिष्णुता से करते हैं यही हमारी भक्ति का प्रतीक है । इश्वर में श्रद्धा और विश्वास रख जब हम जीवन में आने वाले कष्टों का मुकाबला करते चले जाते हैं, तो न सिर्फ हम जीवन पथ पर आगे बढ़ते हैं, वरन अपने इष्ट देव के समीप से समीपतर पहुंचते जाते हैं।
जीवन में हमारे प्रयासों का जो भी परिणाम हो उसे सहजता से स्वीकारना, प्रभु में हमारी आस्था का प्रमाण है । और भगवान में यही विश्वास हमारी सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरती है ।
इस तीर्थ रूपी जीवन यात्रा में अपने प्रत्येक कर्म इश्वर को समर्पित कर अपने पथ पर अडिग हो अग्रसर रहना है, भले ही परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों न हो, हमारी भक्ति का परिचायक है, और यह भक्ति ही हमारी शक्ति का सच्चा स्रोत है ।
जीवन जीना ही कर्म है और जीवित रहना फ़ल। प्रभु के दिये गए इस जीवन से मूल्यवान कोई और भेंट नहीं, पुरुस्कार नहीं। जीवन ही यात्रा है और सदैव हर्ष और उल्लास से प्रत्येक दुर्लभ से दुर्लभ स्थिति का सामना करना ही तीर्थ शब्द का सच्चा अर्थ है ।