
कर्मों का हिसाब किताब बराबर करने के लिए हमने इस संसार में जन्म लिया है । हम पर किसी का ऋण है, और किसी अन्य पर हमारा ऋण है। कर्मों का यही बहीखाता हमें शून्य करना है । किसी भी अप्रत्याशित विपदा के समय हमें यह विचार स्मरण रखना है । हर कठिनाई और समस्या का सामना धैर्य, हिम्मत और सहनशीलता से करने से आई मुसीबत तो जाएगी ही, हमारे पापों का बोझ भी घटेगा । इस जीवन में प्रत्येक कार्य करने से पहले उसके सम्भावित परिणाम पर गहराई से सोच विचार कर लेना चाहिए । हर कार्य में हमेशा नीयत व मंशा पवित्र होनी चाहिए । मन में कभी किसी के लिए कोई खोट व अहित नहीं होना चाहिये । इस तरह हम बुरे कर्म करने से बचेंगे और नये पापों का बोझ नहीं चढ़ेगा । इस प्रकार धीरे-धीरे कर्म चक्र अपनी समाप्ति की ओर बढ़ता चला जाएगा और इसके साथ हम भी मुक्ति के मार्ग पर आगे चलते चले जाएंगे । और तो और यह जीवन भी सरलता व शांति से व्यतीत होगा । हमारे आज और कल दोनों ही संवर जाएंगे ।