यह नहीं है कोई भेद, की सत्य है केवल एक ।
सत्य तक पहुंचने के रास्ते हों भले अनेक, मंज़िल तो रहती है सिर्फ एक।
यह तो है सिर्फ सोच का फ़ेर, जिससे हो जाती है सत्य को समझने में देर ।
धीरे-धीरे या फ़िर जल्दी जल्दी, जब तक हो रहा है सवेरा, तब तक नहीं है कोई खेद।
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Published by Shipra Kumar
Holistic Life Counsellor
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बिल्कुल सही। फिर क्यों मतभेद है?
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हर किसी का अपना समय होता है इस सत्य को जानने का। यह निर्भर करता है हमारे अपने अनुभवों पर और हमने उन अनुभवों से क्या कुछ सीखा।
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