
हम अकेलेपन से क्यों डरते हैं ? सच तो यह है की हम कभी अकेले होते ही नहीं । हम हमेशा ही अपने साथ होते हैं । हम बस अपना खुद का सामना करना नहीं चाहते । हम अपने आप से डरते हैं । शायद इसकी वजह यह है की, हमारी खुद से पहचान नहीं है । हम अपने आप से अनजान हैं । जब हमारी खुद से पहचान हो जाएगी और हम अपने आप को जान जाएंगे तो यह डर ख़त्म हो जाएगा । कभी तन्हाई में अपने आप को समझने की कोशिश ज़रूर करनी चाहिए । मन में पड़ी गुत्थियां खोलनी चाहिए । मन में बसीं सभी उलझनें सुलझानी चाहिए । और यह मुमकिन है विचार मंथन से । सोचने से डरना नहीं है । सोच के सागर में डूब कर उसके पार निकलना है । इस सागर में गोते लगा कर हम सभी समस्याओं का समाधान तो ढूंढ ही लेंगे और साथ ही साथ अपने आप को जाने लेंगे पहचान लेंगे । सागर को पार कर उस किनारे पहुंच कर हमारी मुलाकात खुद से हो जाएगी । मन अब साफ और हल्का हो जाएगा । मन पर पड़ी धूल की परतें हट जाएंगी और अब हमारी रूह आइने की तरह चमक उठेगी । और अब इस आइने में हम खुदा के दीदार कर सकेंगे । और इसीके साथ हो जाएगा हमारा खुद से खुदा तक का सफर कामयाब ।
बिल्कुल सही लिखा है आपने, आज के इस भाग दौड़ भरे
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जीवन में खुद को पहचाना बहुत जरूरी है ।👌👌
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Thank you for your valuable participation and feedback.
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🤗😊🤗
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