
जहाँ तन वहाँ मन, फ़िर जीवन में उत्सव और आनंद हर क्षण ।
रास्ता वही और वही मंज़िल, तो जीवन सफर बनता है सुहावना और खुश दिल क्योंकि, जब नहीं होता कोई भटकाव, तब लहरों को मिल ही जाते हैं साहिल और रातों में भी जगमगाते हैं सितारें झिलमिल।
राग छेड़ने से पहले वीणा के सुर मिलाओ,और वाणी के तार छेड़ने से पहले, शब्दों, विचारों और उनके परिणामों का हिसाब लगाओ, नहीं तो, कर्कश होंगे राग और शब्द लगाएंगे आग।
जब होता है हर ओर अंधकार, तब जलते हैं चिरागों हज़ार जिनकी लौ में रौशन होते हैं यकीन और एतबार, और फ़िर इस प्रकाश में हो जाते हैं भक्त और भगवान् सदा के लिए एक सार।