पात्र तो अत्यंत आकर्षक है, करता है मन को मोहित। पात्र में विष है या अमृत, पदार्थ शुद्ध है या दूषित?
क्योंकि,पात्र तो एक न एक दिन ढह जाएगा पदार्थ ही है जो रह जाएगा।
पात्र से पदार्थ या पदार्थ से पात्र? यह तो है एक प्रश्न मात्र,परंतु इसी उत्तर में छिपा है सम्पूर्ण जीवन शास्त्र।
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Published by Shipra Kumar
Holistic Life Counsellor
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