
यह तो एक शाश्वत प्रश्न है, कैसे पहचाने हम अपना सच्चा गुरु, और कैसे हो हमारी आध्यात्मिक यात्रा शुरू?
अब प्रश्न है, तो उत्तर भी इसका अवश्य है। यह कोई अतिशयोक्ति नहीं, वरन एक परम सत्य है, की हमारी आत्मा ही हमारी प्रथम व सर्वश्रेष्ठ गुरु अतुल्य है।
आत्मा ही तो है वह अमर ज्योत जो है ज्ञान का सच्चा स्रोत।
परंतु आत्मा ही क्यों, तो अर्थ स्पष्ट होता है कुछ यूं,
हमारी आत्मा में हमारे सभी पूर्व जन्मों के कर्मो के हिसाब-किताब का खाता है। और हमारा किस कार्य व उदेश्य में हित या अहित है यह आत्मा को सहज ही ज्ञात हो जाता है ।
परमात्मा है जैसे सूरज और हमारी आत्मा है उससे बिछड़ी एक किरन, और मानव जीवन लक्ष्य ही है आत्मा से परमात्मा का मिलन। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हमे करना ही होगा आध्यात्मिक पथ का चयन।
जब होगा प्राप्त हमे आत्मा का मार्ग दर्शन, तब रखेंगे हम आध्यात्मिक पथ पर पहला चरन और बढ़ते-बढ़ते मिल ही जाएगी हमे एक न एक दिन इश्वरिय शरन।
अपनी आत्मा के सानिध्य में, यात्रा का शुभारंभ करते हैं उत्साह और उमंग में।
जानने के लिए आत्मा के दिव्य गुण और समझने के लिए आध्यात्मिक दर्शन आवश्यक है स्वाध्याय व अध्ययन ।
निरंतर चिंतन व ध्यान से हमे मिलेंगे आत्मा के अद्भुत अनुभव के प्रमाण और इसके साथ ही होता रहेगा हमारा आत्मिक कल्याण ।
बहुत सुन्दर👌
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धन्यवाद । आपको अनेकों शुभकामनाएं।
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🌈🌈👌👌
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बहुत धन्यवाद । ढेरों दुआएं।
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🌈🙏🌈🙏
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