
नाम-रूप, तो हैं जैसे आते-जाते छांव-धूप।
शरीर है नश्वर और इसका सौंदर्य है बस क्षण भर, समय और काल हैं भारी इस पर।
परमात्मा है अमर, अजर, निराकार, और यही है हमारी आत्मा का आधार, अत: हमारी आत्मा भी है आकार-प्रकार-विकार के पार।
आत्मा का श्रृंगार है ज्ञान, ध्यान और सत्संग, और प्रभु सुमिरन में बिताया हर क्षण निखारता है सौ गुना इसका रूप-रंग।
इसलिए, काया की माया में कभी न फंसना, आत्मा ही है परम सत्य, इस बात को सदा स्मरण रखना।