अंधेरी रात में एक तारा टिमटिमाता है…..कांटो के बीच रह कर भी कोई फूल मुस्कुराता है…..सीप में मोती सदा ही जगमगाता है……ऊचाईयों से गिर कर भी दिलेर दरिया गुनगुनाता है……चिलचिलाती धूप सह कर भी अबरक सहज ही चमचमाता है……जैसे, यह हर एक मंज़र हमें हमारी ही दास्तान सुनाता है…..हमें भी तो बस यूंहीं हँसते-खिलखिलाते हमेशा ही आगे बढ़ते चले जाना है।