मन जब दौड़ेगा एक ही क्षण में दसों दिशाओं में बेलगाम, तब कैसे मिलेगा तन को भी कोई आराम? ऐसी स्थिति में कुछ क्षण प्रकृति की गोद में करो विश्राम। यहाँ बिखरे ख्यालों पर लगेगा विराम, होंगे तन-मन तरो-ताज़ा और मिटेगी थकान तमाम।
यह ज़िंदगी इश्वर की ही है अमानत, जो खुशियां हैं वह उन्हीं की हैं इनायत। सुख हो या दुख यह तो हैं अपने-अपने कर्म, हाँ मगर साथ है सदा ही उसकी दया और रहम, और इसी बात में छिपा है सच्चा जीवन मर्म। तो फिर अब बताओ, की जब इस जीवन नय्या के प्रभु ही हैं खैवय्या, तब भला हमें क्यों सताए कोई भी चिन्ता या समस्या?
मंदिर जाओ मस्जिद जाओ भले ही सारी दुनिया घूम आओ, हाँ मगर यह बात न कभी भी भूल जाओ, की इन्सान का दिल ही है भगवान का सच्चा घर, इसे कभी किसी हाल में भी न दुखाओ।
वक्त की एक खूबी है, जो जानना ज़रूरी है, नहीं तो यह जीवन यात्रा रह जानी अधूरी है! वक्त कभी कहीं भी नहीं ठहर जाता, यह तो जैसा भी हो हमेशा ही है गुज़र जाता। इस बात का जब हर दम रखोगे ख्याल, तो फिर रहोगे खुश ज़िंदगी में हर हाल!