किसी भी कूविचार का बीज मन में न पनपनपने पाए ताकी मन के आंगन में वह अपनी जड़ें न पसार पाए। जिस क्षण कोई भी कूविचार मन में आए बस उसी क्षण उसका दमन कर दिया जाए। क्योंकि,कूविचार के पेड़ कटुता और शत्रुता के फल खिलाए। इसके स्थान पर सूविचार के हरे-भरे पौधे लगाएं और इन्हें स्नेह और लगन से सींचा जाए। यहाँ सदा ही मिलेंगे मैत्रि, करुना और सद्भावना के घनेरे साए।
चिंता नहीं, करना है चिंतन, क्योंकि सार्थक चिंतन से ही होगा उचित मार्ग दर्शन। जब स्थिति व परस्थिति का होगा सही आंकलन तब ही तो स्थाई होगा हमारा जीवन।
खुद को खुद से खाली करलो तो खुद में खुदाई को महसूस करो। यह तो सिर्फ एक एहसास है इसे लफ़्ज़ों में बयां करने में वक्त न ज़ाया करो।